‼दंडवत प्रणाम जय श्री कृष्णा‼
*सबसे बड़ी विद्या कौन सी है ब्रह्मविद्या ब्रह्मविद्या में स्पष्ट बताया हुआ है कि हमें एक निष्ठ होकर भक्ति करनी है एक निष्ठ भक्ति में सिर्फ और सिर्फ हमारे महाराज के 5 अवतार आते हैं एक निष्ठ भक्ति में सिर्फ और सिर्फ हमारे महाराज आते हैं और कुछ भी नहीं ग्रहण वाले दिन लोग बहुत कुछ करते हैं वह उनकी विद्या हैं पंचांग या ज्योतिछी विद्या है इन विद्याओं में जो विधि विधान बताए हुए हैं हमें वह मान्य नहीं हमें क्या मान्य है हमारे महाराज ने जो ब्रह्मविद्या में बताया हुआ है जो महाराज ने ब्रह्मविद्या सागर में जो भी बातें बताई हैं वह हमें मान्य हैं इसलिए इस दिन जिस दिन ग्रहण लगना होता है मंदिर नहीं जाना पूजा पाठ नहीं करना यह सब गलत है उल्टा मंदिर जाओ देव धर्म देव पूजा करो कुछ ना कुछ उपहार विधि करो देव पूजा को स्नान करवाओ देव पूजा ज्यादा करो एक माला करते हो तो दो माला करो साधु संतों से मिलो ज्ञान की चर्चा करो जिज्ञासा करो देव धर्म ज्यादा करो*
*बाकी यह नहा कर पूजा करना या फिर और जो भी तोड़के बताते हैं जो ब्राह्मण लोग वह नहीं करना चहीऐ यह सब गलत है हमारे लोगों को इन चीजों के उसमें में नहीं पड़ना उल्टा इस दिन ज्यादा देव धर्म करो बाकी का मार्गदर्शन श्री आनंद मुनि दादाजी जब टाइम लगे वह जरूर करेंगे दंडवत प्रणाम जय श्री कृष्ण सबसे महत्वपूर्ण बात यह है सबसे बड़ा धर्म कौन सा है ईश्वर धर्म है सबसे श्रेष्ठ धर्म कौनसा है ईश्वर का धर्म जो ईश्वर ने स्थापना करी हुई है जिस धर्म कि हम उपासक हैं मतलब कि महानुभाव पंथ धर्म के मुताबिक हमने चलना है उसमें कहीं पर भी नहीं आया हुआ कि जो भी ब्राह्मण लोग पंडित लोग विधि विधान बताते हैं ऐसा करें*
*हमारी ब्रह्मविद्या में नहीं बताया हुआ हमारी ब्रह्मविद्या में यही बताया हुआ है कि आप ज्यादा से ज्यादा देव धर्म करो बाकी संग्रह व्यवहार पालो इन बातों का बताया हुआ है बाकी हमें इनसे कोई दुष्परिणाम पड़ेगा हमारे शरीर के ऊपर जा फिर यह सब बातें छोड़ दो जिसको जो भोगना है उसको वह भोगना ही पड़ेगा कर्मों के अनुसार जो प्राप्त होना है वह उसको प्राप्त होगा ही और जो नहीं प्राप्त हो ना वह उसको कभी भी प्राप्त नहीं हो ना सिर्फ एक महाराज की आराधना करने से सब कुछ बदल सकता है जो नहीं है किस्मत में वह भी प्राप्त हो सकता है और जो प्राप्त है उसमें और भी बढ़ावा महाराज ही दिलवा सकते हैं और कोई नहीं मेरी तोड़ की फोड़की हिंदी शब्दों की रचना गलत भी हो सकती है और कुछ गलत लिखा हो तो उसके लिए तहे दिल से क्षमा दंडवत प्रणाम जय श्री कृष्णा बाकी का सारा मार्गदर्शन और भी साधु संत महात्मा लोग जरूर करें दंडवत प्रणाम‼
*सबसे बड़ी विद्या कौन सी है ब्रह्मविद्या ब्रह्मविद्या में स्पष्ट बताया हुआ है कि हमें एक निष्ठ होकर भक्ति करनी है एक निष्ठ भक्ति में सिर्फ और सिर्फ हमारे महाराज के 5 अवतार आते हैं एक निष्ठ भक्ति में सिर्फ और सिर्फ हमारे महाराज आते हैं और कुछ भी नहीं ग्रहण वाले दिन लोग बहुत कुछ करते हैं वह उनकी विद्या हैं पंचांग या ज्योतिछी विद्या है इन विद्याओं में जो विधि विधान बताए हुए हैं हमें वह मान्य नहीं हमें क्या मान्य है हमारे महाराज ने जो ब्रह्मविद्या में बताया हुआ है जो महाराज ने ब्रह्मविद्या सागर में जो भी बातें बताई हैं वह हमें मान्य हैं इसलिए इस दिन जिस दिन ग्रहण लगना होता है मंदिर नहीं जाना पूजा पाठ नहीं करना यह सब गलत है उल्टा मंदिर जाओ देव धर्म देव पूजा करो कुछ ना कुछ उपहार विधि करो देव पूजा को स्नान करवाओ देव पूजा ज्यादा करो एक माला करते हो तो दो माला करो साधु संतों से मिलो ज्ञान की चर्चा करो जिज्ञासा करो देव धर्म ज्यादा करो*
*बाकी यह नहा कर पूजा करना या फिर और जो भी तोड़के बताते हैं जो ब्राह्मण लोग वह नहीं करना चहीऐ यह सब गलत है हमारे लोगों को इन चीजों के उसमें में नहीं पड़ना उल्टा इस दिन ज्यादा देव धर्म करो बाकी का मार्गदर्शन श्री आनंद मुनि दादाजी जब टाइम लगे वह जरूर करेंगे दंडवत प्रणाम जय श्री कृष्ण सबसे महत्वपूर्ण बात यह है सबसे बड़ा धर्म कौन सा है ईश्वर धर्म है सबसे श्रेष्ठ धर्म कौनसा है ईश्वर का धर्म जो ईश्वर ने स्थापना करी हुई है जिस धर्म कि हम उपासक हैं मतलब कि महानुभाव पंथ धर्म के मुताबिक हमने चलना है उसमें कहीं पर भी नहीं आया हुआ कि जो भी ब्राह्मण लोग पंडित लोग विधि विधान बताते हैं ऐसा करें*
*हमारी ब्रह्मविद्या में नहीं बताया हुआ हमारी ब्रह्मविद्या में यही बताया हुआ है कि आप ज्यादा से ज्यादा देव धर्म करो बाकी संग्रह व्यवहार पालो इन बातों का बताया हुआ है बाकी हमें इनसे कोई दुष्परिणाम पड़ेगा हमारे शरीर के ऊपर जा फिर यह सब बातें छोड़ दो जिसको जो भोगना है उसको वह भोगना ही पड़ेगा कर्मों के अनुसार जो प्राप्त होना है वह उसको प्राप्त होगा ही और जो नहीं प्राप्त हो ना वह उसको कभी भी प्राप्त नहीं हो ना सिर्फ एक महाराज की आराधना करने से सब कुछ बदल सकता है जो नहीं है किस्मत में वह भी प्राप्त हो सकता है और जो प्राप्त है उसमें और भी बढ़ावा महाराज ही दिलवा सकते हैं और कोई नहीं मेरी तोड़ की फोड़की हिंदी शब्दों की रचना गलत भी हो सकती है और कुछ गलत लिखा हो तो उसके लिए तहे दिल से क्षमा दंडवत प्रणाम जय श्री कृष्णा बाकी का सारा मार्गदर्शन और भी साधु संत महात्मा लोग जरूर करें दंडवत प्रणाम‼
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