Tuesday, 6 June 2023

Geeta Adhyay 18

 सुखं त्विदानीं त्रिविधं श्रृणु मे भरतर्षभ।

 अभ्यासाद्रमते यत्र दुःखान्तं च निगच्छति॥

 यत्तदग्रे विषमिव परिणामेऽमृतोपमम्‌।

 तत्सुखं सात्त्विकं प्रोक्तमात्मबुद्धिप्रसादजम्‌॥


भावार्थ :-

हे भरतश्रेष्ठ! अब तीन प्रकार के सुख को भी तू मुझसे सुन। जिस सुख में साधक मनुष्य भजन, ध्यान और सेवादि के अभ्यास से रमण करता है और जिससे दुःखों के अंत को प्राप्त हो जाता है, जो ऐसा सुख है, वह आरंभकाल में यद्यपि विष के तुल्य प्रतीत (जैसे खेल में आसक्ति वाले बालक को विद्या का अभ्यास मूढ़ता के कारण प्रथम विष के तुल्य भासता है वैसे ही विषयों में आसक्ति वाले पुरुष को भगवद्भजन, ध्यान, सेवा आदि साधनाओं का अभ्यास मर्म न जानने के कारण प्रथम 'विष के तुल्य प्रतीत होता' है) होता है, परन्तु परिणाम में अमृत के तुल्य है, इसलिए वह परमात्मविषयक बुद्धि के प्रसाद से उत्पन्न होने वाला सुख सात्त्विक कहा गया है

Adhya 18 ॥Slok36-37॥

Dandvat Pranam 🙏 Jay Shri Krishna

Sunday, 4 June 2023

Dharmsabha 63 at Sayli, Silvassa

 

रविवार दि. ४ जून २०२३ रोजी सायली येथे सत्संग तथा प्रवचन संपन्न झाले. 
 
   सत्संग मधे   गृप प्रमुख श्री दिपक भाई माहला यांनी विशेष वंदन चे महत्त्व, विकल्प दोष  विषयी निरुपण केले,तसेच श्री लखान गुरुजी यांनी श्री गोविंद प्रभू आणि श्री चक्रधर स्वामींचे लिळा सागितले. आणि लीला स्मरण करतो तेव्हा आठवण करावी लीला असे त्यांनी प्रबोधन केले.
 आयोजक -महानुभाव सेवा समिती युवा ग्रूप प्रमुख श्री दिपक भाई माहला 
 विनीत -  श्री कृष्ण ज्ञान मंदिर सायली ग्रामस्थ मंडळ..  
🙏 श्री महेशभाई नी आभार प्रदर्शना नंतर महाप्रसाद वितरण करून कार्यक्रम संपन्न झाला. 

 कार्यक्रमाचे अन्नदान, द्रव्यदान  सायली ग्रामस्थ मंडळवती सर्व सदभक्त आणि भिक्षुक चे केलें

 💐💐💐💐🙏 त्यांची सेवा महाराज स्विकार करो हीच ईश्वर चरणी प्रार्थना.💐💐💐💐 
 आपला 
 एक युवा ....🙏 दंडवत प्रणाम